बद्रीनाथ धाम में क्यों नहीं बजाने दिया जाता है शंख?

Why is conch shell not allowed to be blown in Badrinath Dham?

शंख

सभी धार्मिक स्थल पर शंख बजाया जाता है। केवल बद्रीनाथ धाम को छोड़कर, क्या आप इसके पीछे का कारण जानती हैं अगर नहीं तो हम आपको बताने वाले हैं।

शंख

हिंदू धर्म में पूजा पाठ के दौरान शंख बजाया जाता है। कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले हम पूजा पाठ करते हैं इन दौरान शंख जरूर बजाया जाता है।

शंख

उत्तराखंड के चार धाम में आने वाला बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता है।

बद्रीनाथ में क्यों नहीं बजाते शंख

आमतौर पर लोगों का कहना है कि- मंदिरों में देवी-देवताओं का पूजा-अर्चना के साथ शंख ध्वनि से भी उनका आह्वान करते हैं

बद्रीनाथ धाम

हिमालय की तलहटी पर स्थित बद्रीनाथ धाम में शंखनाद नहीं होता है। इसके पीछे का कारण काफी लोग नहीं जानते हैं।

इसका धार्मिक कारण क्या है

बद्रीनाथ धाम में शंख ना बजाने के पीछे धार्मिक मान्यता है। कहा जाता है कि मां लक्ष्मी बद्रीनाथ में बने तुलसी भवन में ध्यान लगा रही थी।

शंखचूर्ण

तभी भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण नाम के एक राक्षस का वध किया था। वहीं विष्णु जी लक्ष्मी जी के ध्यान में विघ्न नहीं डालना चाहते थे।

शंख

इसलिए उन्होंने शंख नहीं बजाया था। तभी से बद्रीनाथ धाम में शंख ना बजाने का मान्यता चलता आ रहा है।

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ठंड

बद्रीनाथ में काफी अधिक ठंड होती हैं। अगर यहां शंख बजता है तो उसकी ध्वनि पहाड़ों से टकराकर प्रतिध्वनि पैदा करती है।

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