हिंदू शादियों में दूल्हे के बाईं ओर ही क्यों बैठती है दुल्हन ?

Why does the bride sit on the left side of the groom in Hindu weddings?

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धार्मिक

शादी की रस्मों के दौरान हमेशा दुल्हन दूल्हे के बाएं हिस्से की ओर ही बैठती है। आइए जानें इसके पीछे के धार्मिक कारणों के बारे में।

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प्रथाएं

कई रीति रिवाजों के साथ कुछ प्रथाएं भी हैं जिनका पालन भी धर्म शास्त्रों के अनुसार अनिवार्य माना जाता है।

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पूजन या हवन

ऐसा माना जाता है कि यदि दुल्हन शादी के पूजन या हवन के दौरान दूल्हे के बाईं ओर ही बैठती है तभी शादी सही तरीके से पूर्ण मानी जाती है।

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प्राचीन काल से चली आ रही है ये प्रथा

ऐसी मान्यता है कि विवाहों के कई प्रकार होते हैं। जैसे ब्रह्म विवाह, देव विवाह, अर्श विवाह, प्रजापत्य विवाह, गंदर्भ विवाह, असुर विवाह आदि।

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असुर

कई बार असुर विवाह होते थे जिसमें कई तरह के असुर विवाह में बाधाएं उत्पन्न करते थे इसलिए दूल्हे अपनी दाहिनी तरफ अस्त्र शस्त्र रखते थे जिससे अपनी सुरक्षा कर सकें।

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प्रथा

दुल्हन को बाईं तरफ बैठाया जाता था। उसी समय से ये प्रथा चली आ रही है जिसका पालन आज भी किया जाता है और विवाह के दौरान दुल्हन हमेशा बाईं तरफ ही बैठती है।

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व्यक्ति का ह्रदय बाईं ओर होता है

ऐसी मान्यता है कि यदि दुल्हन शादी के दौरान दूल्हे के बाएं हाथ की तरफ बैठती है तो हमेशा पति के ह्रदय के करीब रहती है।

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परंपरा

इसी वजह से सदियों से यह परंपरा चली आ रही है जिससे दूल्हे और दुल्हन के बीच प्रेम संबंध हमेशा के लिए अच्छे बने रहें और उनके बीच किसी तरह की लड़ाई न हो और सामंजस्य बना रहे।

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प्रेम का प्रतीक

ऐसा माना जाता है कि यदि शादी के दौरान दुल्हन बाईं तरफ बैठती है तो वर और वधु के बीच सदैव प्रेम भाव बना रहता है।

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