Even after independence, the Britishers are taking the rent of this railway station.
भारत पर लगभग 200 साल तक अंग्रेजों ने शासन किया। इस दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने भारतीयों पर काफी अत्याचार किए।
अंग्रेज ही थे जो भारत में रेलवे लेकर आए। देश की आजादी के बाद भारतीय रेलवे भारत सरकार द्वारा नियंत्रित एक सार्वजनिक रेलवे सेवा बन गई।
आजादी के 75 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन आज भी भारतीय रेलवे का एक ट्रैक है, जो ब्रिटिश कंपनी के अंतर्गत आता है
हर साल भारत इस ट्रैक की देखरेख के लिये कंपनी को करोडों रूपये देता है।
ये रेलवे ट्रैक आज भी अंग्रेजों के कब्जे में है। इस ट्रैक को शकुंतला रेलवे ट्रैक के नाम से जाना जाता है।
महाराष्ट्र के अमरावती से मुर्तजापुर तक इस ट्रैक की लंबाई करीब 190 किलोमीटर है।
कपास अमरावती, महाराष्ट्र में उगाई जाती थी। यहां से मुंबई बंदरगाह तक कपास की ढुलाई के लिए इसी ट्रैक का इस्तेमाल किया जाता था।
इस रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए ब्रिटेन की क्लिक निक्सन एंड कंपनी ने सेंट्रल प्रोविंस रेलवे कंपनी (CPRC) की स्थापना की। इस ट्रैक का निर्माण 1903 में शुरू हुआ था
उस समय इस ट्रैक पर केवल एक ट्रेन चल रही थी, जिसे शकुंतला पैसेंजर के नाम से जाना जाता था। इस कारण यह रेलवे लाइन शकुंतला रेलवे ट्रैक के नाम से प्रसिद्ध हुई।