Shehzada Film Review: कार्तिक आर्यन की 'शहजादा' तोड़ सकती है कई रिकॉर्ड, देखें फिल्म का रिव्यू
Shehzada Film Review:कार्तिक आर्यन की नई फिल्म का नाम लगातार लोगों जुबान से सुनने को मिल रहा है. यदि आपने भी मूवी नहीं देखी है, तो पहले एक बार फिल्म का रिव्यू जरुर देखें.

The Kalamkar, Viral Desk साउथ-हिंदी फिल्मों के क्रॉस कल्चर से तो हम वाकिफ हैं. दृश्यम की सीरीज की बात हो या कबीर सिंह या जर्सी, अब इसी कड़ी में अल्लु अर्जुन की सुपरहिट फिल्म Ala Vaikunthapurramuloo(अला वैकुंठपुरामल्लू) की हिंदी रीमेक शहजादा जुड़ गई है. इस फिल्म के जरिए कार्तिक आर्यन टिपिकल मसाला फिल्म संग अपनी एक्टिंग एक्स्प्लोर कर रहे हैं.
एक परफेक्ट फिल्म की क्या परिभाषा होती है? यही न कि उसमें डांस हो, हीरो विलेन की जमकर धुलाई करे, रोमांस करे, म्यूजिक ऑन टॉप हो और हां, इमोशन के साथ-साथ कॉमेडी का तड़का भी लगे. कार्तिक आर्यन कुछ इसी फॉर्म्युले के साथ अपने फैंस के लिए 'शहजादा' के रूप में फुल टू मसाला फिल्म लेकर आए हैं. अब कार्तिक के इस नए एक्शन अवतार को उनके फैंस कितना पसंद करते हैं, ये तो बॉक्स ऑफिस बताएगा. उससे पहले पढ़ें ये रिव्यू...
कहानी
जिंदल एंटरप्राइजेस के मालिक रणदीप जिंदल (रोनित रॉय) और उनकी कंपनी में काम करने वाला स्टाफ बाल्मिकी (परेश रावल) के घर में बेटे का जन्म होता है. किसी कारणवश बाल्मिकी दोनों बच्चों की अदला-बदली कर देता है. ऐसे में जिंदल कंपनी का इकलौता शहजादा बंटू (कार्तिक आर्यन) एक मामूली से क्लर्क का बेटा बनकर रह जाता है और वहीं क्लर्क का बेटा राज (राठी) जिंदल राजघराने में ठाठ से रहता है.
अपनी फूटी किस्मत लिए बंटू को हमेशा सेकेंड हैंड चीजों से गुजारा करना पड़ता है. नौकरी ढूंढते बंटू की मुलाकात समारा(कृति सेनन) से होती है. बॉस के रूप में मिली समारा को देख बंटू उसके प्यार की गिरफ्त में पड़ जाता है. इसी बीच उसे बाल्मिकी की इस घिनौनी सच्चाई का भी पता लगता है.
अब कहानी यहीं से एक नया मोड़ लेती है. क्या बंटू अपनी सच्चाई जिंदल फैमिली को बता पाएगा? वहीं क्या परिवार बंटू को अपनाने के लिए तैयार है? समारा और बंटू की लव स्टोरी का क्या होता है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए थिएटर की ओर रुख करें.
डायरेक्शन
रोहित धवन देसी बॉयज, ढिशूम जैसी फिल्म के बाद शहजादा लेकर आए हैं. शहजादा साउथ के ऐसे फिल्म की रीमेक है, जो बॉलीवुड के 80 के दौर के मसाला फिल्म की याद दिलाती है. 80 के उस फ्लेवर को आज के कंट्रेप्ररी दौर पर रोहित ने फिट करने की एक सफल कोशिश की है. रोहित की इस फिल्म में एंटरटेनमेंट का डोज एकदम सही मात्रा में है. न ही कुछ ओवर डू करने की कोशिश की गई है और न ही कुछ कमतर रखा गया है.
फिल्म बेशक रीमेक है लेकिन उसमें रोहित का टच भी साफ नजर आता है. साउथ वाले कई सीन्स को उन्होंने हिंदी में बनाते वक्त क्रिस्प किया है. मसलन फर्स्ट हाफ में जिस तरह से अल्लू अर्जुन और पूजा हेगड़े की केमिस्ट्री को एक लंबा टाइमफ्रेम दिया है, वहीं हिंदी में इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि कम समय में लव स्टोरी को स्टैबलिश कर दिया जाए. हां, जरूरी बात फिल्म के शुरूआत का 15-20 मिनट अगर आप मिस कर जाते हैं, तो कहानी को समझने में शायद आपको दिक्कत हो सकती है.
कहीं 'शहजादा' के लिए सुसाइड न साबित हो ये शिफ्ट
फर्स्ट हाफ की बात करें, तो फिल्म थोड़ी सी लेंथ में लंबी लगती है और कुछ सीन्स बिना वजह ठूंसे जान पड़ते हैं, जिसे देखकर एडिटर की लापरवाही समझ आती है. वहीं सेकेंड हाफ में फिल्म एक रफ्तार पकड़ती है. खासकर फिल्म में वन लाइनर्स और कॉमिक पंच इसके सेकेंड हाफ को इंट्रेस्टिंग बनाते हैं. मोनोलॉग के लिए फेमस कार्तिक आर्यन का नेपोटिज्म पर दिया गया सीन वाकई सीटियां बजाने पर मजबूर करता है.
क्लाइमैक्स को एक अलग मोड़ पर खत्म किया गया है. हां, फिल्म का फर्स्ट हाफ जहां कार्तिक और कृति के रोमांस पर फोकस होता है, तो वहीं आखिर तक पूरी फैमिली ड्रामा में तब्दील हो जाता है. आखिर के कुछ 30 मिनट में कृति सेनन नदारद रहती हैं, जिसे देख कृति के फैंस जरूर निराश होंगे. अगर आपने फिल्म का ओरिजनल वर्जन नहीं देखा है, तो दावा है कि यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी.
टेक्निकल एंड म्यूजिक
फिल्म का म्यूजिक साउथ वर्जन की तरह अभी तक जुबान पर नहीं चढ़ पाया है. रिलीज से कुछ दिनों पहले ही कार्तिक ने कैरेक्टर ढीला सॉन्ग रिलीज किया है. अगर उसे थोड़ा जल्दी रिलीज करते, तो शायद गाने को एक अच्छा स्पेस मिल पाता. सिनेमैटिकली फिल्म बहुत खूबसूरत लगती है.
स्क्रीन पर भव्यता का पूरा ख्याल रखा गया है. एडिटिंग पर थोड़ा ध्यान दिया जाता, तो 2 घंटे 46 मिनट की यह फिल्म थोड़ी और क्रिस्प हो सकती थी. फिल्म में एक्शन की तारीफ करनी पड़ेगी. कार्तिक की स्टाइलिंग और उनका एक्शन दोनों ही टॉप क्लास का रहा है. चश्मा उड़ाते, बीड़ी पीते और स्वैग में स्कूटर चलाते कार्तिक स्क्रीन के हर फ्रेम पर जंचते हैं.
एक्टिंग
फिल्म की पूरी कास्टिंग इसका प्लस पॉइंट है. कार्तिक आर्यन ने इस फिल्म में खुद को बतौर एंटरटेनर एक्स्प्लोर किया है. एक्शन, रोमांस, कॉमेडी और थोड़ा इमोशन हर उस एसेंस को कार्तिक ने स्क्रीन पर बखूबी बरकरार रखा है. कहीं भी वो ज्यादा या कमतर नहीं नजर आए हैं.
वहीं वकील के रूप में कृति सेनन का काम भी डिसेंट रहा है. हालांकि फर्स्ट हाफ की तुलना में सेकेंड हाफ में कृति उतना प्रभाव नहीं छोड़ पाती हैं. बाल्मिकी के रूप में परेश रावल की कार्तिक संग नहले पे दहले वाली जोड़ी परफेक्ट रही है. मनीषा कोईराला और रोनित रॉय अपने किरदार में काफी सहज लगते हैं. इसके अलावा राजपाल यादव भले कुछ सीन्स में नजर आए हों लेकिन उनकी कॉमिक टाइमिंग कमाल की रही है.
क्यों देखें
एक एंटरटेनर फिल्म होने के साथ-साथ यह फिल्म आपको परिवार के कुछ वैल्यूज भी सिखा जाती है. कार्तिक इस फिल्म में जबरदस्त एक्शन करते नजर आए हैं. इस फिल्म में वो सारी क्वालिटी है, जो एक सिनेमा लवर ढूंढता है. फिल्म में अगर बहुत ज्यादा लॉजिक ढूंढेंगे, तो निराशा हाथ लगेगी लेकिन प्योर एंटरटेनमेंट के मकसद से फिल्म देखेंगे, तो वक्त अच्छा गुजरेगा.